Monday, August 20, 2007

निशा

आधा चांद , भीनी चांदनी

तारों की हसीं दमक
निशा की सांवली चमक
हलकी सी रौशनी
गहरीं सी छाओं
गहरी चादर
अनसुनी सी आहट

डगमगाता अम्बर
चमकता सितारा
खूबसूरत नज़ारा

और
आधा चांद

1 comment:

Arshi said...

love this kavita of urs :)